अपेक्षाएं
ये चाहिए, वो चाहिए
ऐसा हो , वैसा हो
अपेक्षाएं
बालपन की ही, होती हैं
विशेषताएं
सर्वव्यापी , दूर दृष्टि
नई पीढ़ी, समावेशी
दिन रात की साधना
अपेक्षाओं की सौ गुना
बनाती शुभ अवसरों की धरा
लिए
अनुशासन की दृढ़ता
शासक सी कठोरता
समर्पित-सरल , पिता-हृदय
प्रेम-प्यार ही, से भरा।।
विधु गर्ग
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