राम मंदिर

रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता
राजदुलारे चारों भ्राता
बाल स्वरूप प्राण प्रतिष्ठा
अर्पित समर्पित अंतर निष्ठा
सदियों से अभिशप्त सकुचाता
त्रेता सा अवध, वैभव अब पाता
जन जन मुदित मन, हरि गुण गाता
जय जय श्री राम , जय सीता माता