विभिन्न दस्तावेजों में उल्लेख किया गया है कि सन् 1528 में ताकत के दम पर ,बाबर के मीर बाकी ने, जब राम मंदिर और राम भक्तों का ध्वंस किया तो अयोध्या उजाड़ हो गई और इसके बाद निरंतर भारत का पराभव होने लगा । बाबर वंशियों का शासन स्थापित हो गया तथा औरंगजेब के शासन के समय काशी में बाबा विश्वनाथ और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि पर भी , विधर्मियों ने आधिपत्य जमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।
भक्तों की भावना के प्रतिकार स्वरूप, सोलहवीं सदी स्थापित मुगल शासन का अठारहवीं सदी आते-आते अंत होने लगा ।
लेकिन अब तक हिंदू शक्ति बहुत क्षीण हो चुकी थी और भारत पर अंग्रेजों का शासन स्थापित हो गया।
अखाड़ों के साधु-संतों, छोटे-छोटे राजे-महाराजाओं और अनेकों साहसी हिंदू धर्मावलंबियों के सम्मिलित प्रयासों से , पुनः हिंदू जागरण और एकात्मक भाव सक्रिय होने लगा। राम-नाम सबको जोड़ने लगा।
1947 में राजनीतिक स्तर पर, भारत सार्वभौम संप्रभु स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर स्थापित हुआ । 22-23 दिसंबर 1949 की रात को श्री राम जन्मभूमि पर रामलला का प्राकट्य हुआ। 26जनवरी 1950 से संविधान लागू हुआ। भारत उन्नति के पथ पर अग्रसर होने लगा ।
राम जन्मभूमि मंदिर के लिए 1528 से ही लगातार युद्ध लड़े जाते रहे । जिसमें लाखों साधु-संतों, भक्तों और कारसेवकों ने अपने प्राणों का बलिदान किया। न्याय के लिए , मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम स्वयं वादी बने । दशकों न्यायालय का फैसला आने की प्रतीक्षा भी की । राजा राम के पक्ष में भारत के एक राजनीतिक दल ने माननीय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी और विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल जी के नेतृत्व में रथ यात्रा के माध्यम से हिंदू जागृति और राम आस्था के एकात्म को अनावृत किया ।
बहुत सी सामाजिक, राजनीतिक, न्यायिक संकीर्णताओं को पार करते हुए, अंततः 9 नवंबर 2019 को रामलला विराजमान के पक्ष में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया । इसके साथ ही सदियों से चल रहे राम जन्मभूमि आंदोलन का पटाक्षेप हुआ।
5 अगस्त 2020 को राम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया और अब 22 जनवरी 2024 (पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी 2080 विक्रम संवत) को दिव्य-भव्य-नव्य राम मंदिर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हो रहा है । न केवल भारत अपितु संपूर्ण विश्व में हिंदू अस्मिता, भारतीय सांस्कृतिक दिव्यता का पुनर्जागरण हो रहा है। उजाड़ पड़ी अयोध्या नव-प्राण संचारित हो उठी है ।
बधाई बधाई दसों दिशाओं को बधाई
बधाई बधाई हिंदू अस्मिता को बधाई
बधाई बधाई राष्ट्र उत्थान को बधाई
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