मुंबई के प्रभादेवी क्षेत्र स्थित, रिद्धि-सिद्धि सहित विराजे “श्री सिद्धिविनायक गणपति” दर्शन मात्र से ही, भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर, आशीर्वाद स्वरुप उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि श्री सिद्धि विनायक मंदिर में स्थापित चांदी के चूहों के कान में, अपनी मनोकामना कह दी जाती है, तो वह भगवान गणेश जी तक पहुंच ही जाती है।
सामान्यतया बुधवार से सोमवार प्रात 5:30 बजे से 10:00 बजे तक और मंगलवार को प्रातः 3:15बजे से 12:00 बजे तक, भक्त अपनी अभिलाषाओं सहित भगवान सिद्धिविनायक के दर्शनों का लाभ प्राप्त करते हुए, अभिभूत होते रहते हैं। सिद्धिविनायक मंदिर की महिमा अपरंपार है ।
लगभग 200 वर्षों से महाराष्ट्र के अष्टविनायकों में ना आने के उपरांत भी, दायीं ओर सूंड वाली, लगभग ढाई फीट काले पत्थर की चतुर्भुजी “गणेश-प्रतिमा” को सिद्ध पीठ स्वरूप माना जाता है।
गणेश उत्सव के समय तो, देश-विदेश के लाखों दर्शनार्थियों का अनवरत रूप से, श्री सिद्धिविनायक के प्रति भाव-विभोर, नतमस्तक हो , दर्शन करने का तांता लगा ही रहता है। श्री सिद्धिविनायक के दर्शनों का लाभ अमीर से अमीर व्यक्ति और गरीब से गरीब व्यक्ति भी उठाकर लाभांवित होता रहा है।
गणपति बप्पा मोरया!!
विधु गर्ग
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