पालक
वात्सल्य-युक्त बरखा-बहार
और
अनुशासन की कड़ी धूप भी
आचार-विचार-व्यवहार
लक्ष्य
केवल एक ही
सजे पीढ़ी,
संग गौरवमयी विरासत और संस्कार
बने नित्य,
आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर
पुष्टि, तुष्टि, संतुष्टि के लिए
निस्वार्थ, निश्छल जीवन जिए प्रसन्नचित, उत्साही, कर्मरत सदा, पिता या प्रजा-पालक राजा
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