न दैन्यं न पलायनम्

न दैन्यं न पलायनम्

कर्तव्य के पुनीत पथ को
हम ने स्वेद से सींचा है
कभी-कभी अपने अश्रु और
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है

किंतु, अपनी ध्येय यात्रा में
हम कभी रुके नहीं हैं
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं

आज
जबकि राष्ट्र जीवन की
समस्त निधियां
दांव पर लगी हैं
और
एक घनीभूत अंधेरा
हमारे जीवन के
सारे आलोक को
निगल लेना चाहता है

हमें ध्येय के लिए
जीने, जूझने और
आवश्यकता पड़ने पर
मरने के संकल्प को दोहराना है

आग्नेय परीक्षा की
इस घड़ी में
आइए , अर्जुन की तरह
उद्घोष करें
न दैन्यं न पलायनम् ।

पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी का , संपूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा है ।उन्होंने परतंत्र भारत की कटु सच्चाईयों का अनुभव करते हुए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर , अनुशासित राष्ट्र-भाव अंगीकृत करते हुए “मां-भारती” की सेवा को जीवन का लक्ष्य बना लिया।

संघ के प्रचारक बनकर, जमीन से जुड़े राष्ट्र और समाज का साक्षात्कार किया । जन जागरण का कार्य किया। 1975 के आपातकाल की ज्वाला में, कुंदन बनकर 1980 से भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व किया।

अजातशत्रु श्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने, अपने वक्तव्य ,भाषणों और काव्य से सदैव भारतीय जन-समाज को राष्ट्रीय भाव से सींचा है। दलगत और स्वार्थ की राजनीति में जकड़ी परिस्थितियों में भी, राष्ट्रवाद-पल्लवित सजग और जागरूक समाज ने, उन्हें तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलवाई । प्रधानमंत्री बनते ही श्री वाजपेई जी ने परमाणु विस्फोट करके विश्व में , भारत की शक्ति का एहसास कराया। राष्ट्र-भक्त कलाम साहब को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलवा कर नकारात्मक अफवाहों को ध्वस्त किया। आसमान छूती महंगाई को नियंत्रित किया। जमीनी स्तर पर, जन कल्याण के लिए, सड़कों , संचार क्रांति आदि का विस्तार किया। नदी जल प्रबंधन का प्रयास किया । न जाने कितने ही राष्ट्रीय महत्व के कल्याणकारी कार्यों का शुभारंभ किया ।

अपने प्रगाढ़ राष्ट्र-भाव को इस कविता के माध्यम से व्यक्त करते हुए , भारतीय जन-समाज का आह्वान करने के लिए अटल जी कहना चाहते हैं कि, हम सब जन-जन मिलकर, किसी भी विकट परिस्थिति का सामना कर सकते हैं । इसके लिए हमें मानसिक रुप से हमेशा तैयार रहना चाहिए तथा कर्मठता के साथ लक्ष्य हासिल करने के लिए तत्पर होना चाहिए ।

समाज और राष्ट्र को विकास के लिए सतत संघर्षों और परीक्षाओं के दौर से गुजरना ही पड़ता है । वर्तमान परिस्थितियों में भी, राष्ट्र में नकारात्मकता फैला रही शक्तियों का दमन करने के लिए, हम सब एक होकर श्री अटल बिहारी वाजपेई जी के संदेश को समझें – “न दैन्यं न पलायनम्” !
” राष्ट्रपुरुष अटल जी को शत-शत नमन”।

विधु गर्ग