9 अगस्त

9 अगस्त

“मालिक तेरी रजा रहे और तू ही रहे
बाकी ना मैं रहूं, ना मेरी आरजू रहे
जब तक कि,तन में जान,रगों में लहू रहे ,
तेरा हो जिक्र या, तेरी ही जुस्तजू रहे ”

फांसी के लिए जाते हुए यह पंक्तियां पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जी की है। ” मैं ब्रिटिश साम्राज्य का विनाश चाहता हूं ” यह कहते हुए वे फांसी पर झूल गए थे ।

स्वतंत्रता आंदोलन में युवाओं में नई ऊर्जा सिंचित करने वाली यह घटना थी। काकोरी में 9 अगस्त 1925 को ट्रेन डकैती के लिए पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जी के साथ राजेंद्र नाथ लहरी, रोशन सिंह जी, अशफाक उल्ला खां को इस दुस्साहस के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी की सजा सुनाई थी।

9 अगस्त भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के रूप में भी मनाया जाता है । 9 अगस्त 1942 को गांधी जी ने अंग्रेजी हुकूमत को हटाने के लिए “करो या मरो” का नारा दिया। स्वतंत्रता के लिए लाखों भारतीय अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध खड़े हो गए। हजारों लोगों ने अपनी गिरफ्तारियां भी दी थी । कितने ही लोगों को अपना बलिदान भी देना पड़ा था।

अगस्त का द्वितीय सोमवार, आज 9 अगस्त को, पिछले कुछ समय से “मूल निवासी दिवस” के रुप में मनाया जा रहा है। अर्थात जिस देश के जो मूल निवासी हैं , उनको यह दिन समर्पित है । जैसे अमेरिका के मूल निवासी इस समय बहुत ही नगण्य संख्या में है। जिनकी किसी को जानकारी भी अधिक नहीं है । इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया , साउथ अफ्रीका आदि कई देश है, जहां पर बाहर के मुख्यत: साम्राज्यवादी विस्तार के कारण यूरोपीय लोग और उनकी नस्लों ने, अनेक देशों में अपना प्रभुत्व जमा लिया और उस स्थान विशेष की मूल संस्कृति तथा निवासी लगभग लुप्त हो गए । उन्हीं के अधिकारों एवं सम्मान की रक्षा के लिए यह दिवस मनाया जाता है। मूल निवासी दिवस को आदिवासी दिवस भी कह दिया जाता है।

भारत के संदर्भ में इस विषय को व्यापक स्तर पर समझने की आवश्यकता है । पिछले 1000 वर्षों से भारत की मूल संस्कृति एवं निवासियों को नष्ट करने के लिए निरंतर विदेशी आक्रांताओं द्वारा बर्बर अत्याचार होते रहे हैं और क्षति पहुंचाई जा रही है। लेकिन विदेशी इसमें पूर्ण रूपेण सफल नहीं हो पाए।

भारतीय संस्कृति, विश्व की सबसे प्राचीनतम जीवंत संस्कृति है। भारत के “मूल निवासी और आदिवासी” अलग नहीं अपितु एक ही संस्कृति का प्रवाह है । वे इसी माटी की उपज हैं। वेद वाक्य के रचयिता हैं। राम-कृष्ण, महावीर, बुद्ध, नानक के वंशज हैं।

निश्चित रूप से भारत के मूल निवासियों को भी प्रथम वरीयता मिलनी चाहिए । भारत के सभी मूल निवासियों को, संगठित होकर अपनी आवाज इस दिशा में उठानी चाहिए।

भारत के हम सभी मूल निवासियों को मूलनिवासी दिवस की शुभकामनाएं।