हिंदू नव वर्ष
अनंत ब्रह्मांड में
अनंत काल से
अनंत निहारिकाएं
आकाश-गंगाएं
ग्रह – नक्षत्र
सूर्य-चंद्र, तारे-सितारे
धरा संग खेल रहे
शून्य से अनंत
निर्जन से सृजन
कालबद्ध आवर्तन
अनेकों युग-परिवर्तन
पिंड – नामकरण
प्रज्ञा से काल-गणन
ऋषि-मुनि सहेज रहे
सृष्टि का आरंभ
प्रकृति का नवरूप धारण
धरा का सौंदर्यीकरण
नव-ऊर्जा युक्त तन-मन
पुण्य भूमि भारत में
चैत्र प्रतिपदा से
“हिंदू” नव-वर्ष मना रहे
सत्व – रज – तम
विद्या – धन – बल
नवदुर्गा अधिष्ठात्री
ऋतुराज वसंत नवरात्रि
साधक से साधारण
भक्ति-युक्त, प्रेम-समर्पण
वात्सल्यमयी देवी मैया को पूज रहे ।।
विधु गर्ग
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