देखो-देखो रे, अवधपुरी प्यारी
पग-पग पर निखरी शोभा न्यारी
भक्ति-अनुभूति जग पर भारी
सप्तपुरियों की, बनी दुलारी
रामलला की ,मर्यादा वाली
हिंदू अस्मिता ,जगाने वाली
नवनिर्मित, विकास वाली
संग-संग मनाए, होली-दिवाली
वात्सल्य बहाए सरयू का पानी
गूंजे जयकारे की अमृतवाणी
सियाराम मय सब जग जानी
करहु प्रणाम जोरि जुग पा
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