भारतीय लोकतंत्र
संविधान में भारत को एक लोकतांत्रिक राज्य घोषित किया गया है।
लोकतंत्र की अवधारणा भारत एवं भारतीयों के लिए कोई नई अवधारणा नहीं थी।
पिछले 1000 वर्षों से आक्रांताओं के आक्रमण और शासन के कारण, भारत के सामान्य नागरिकों के साथ, गुलामों जैसा व्यवहार किया जा रहा था। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के अत्याचार भी हो रहे थे ।
यह विदेशी शासक चाहे गुलाम वंश के, लोधी, खिलजी, मुगल, फ्रेंच, पुर्तगाली, डच, अंग्रेज आदि कोई भी रहे हों। इसी दौरान बीच-बीच में गोरी, गजनी, तैमूर, चंगेज खान आदि जैसे लुटेरे यहां लूटपाट और रक्तपात करने आते रहे।
ईसा के पूर्व और बाद की कई शताब्दियों में, विभिन्न ग्रंथों, लेखों, अभिलेखों, विदेशी यात्रियों के संस्मरणों में, स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि भारतीय राजनीतिक व सामाजिक व्यवस्था छोटे-बड़े जनपदों में व्यवस्थित थी।
अलग-अलग स्वरूप में चुनावी प्रक्रिया थी। जिनमें सामान्य नागरिकों की सहभागिता भी थी।
हमारे संविधान में पुनः इसी “भारतीय-लोकतंत्र” की स्थापना की गई है ।
वंदे मातरम !!
विधु गर्ग
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