लालिमा युक्त सुनहरी किरणों से
सजती जब भोर
संतुष्टि भरी शांति और नव ऊर्जा
बिखरती चहुं ओर
खिलती कलियों से मन महक जाता ,
पंछी सा चहचहाता
अनायास-अनजाने,
स्वयं परम सत्ता से जुड़ जाता
सुंदर-सृष्टि ,जीवन-दृष्टि बन जाती
निरंतर सत्कर्म की महिमा सिखलाती
सर्व समष्टि, सद्भाव जगा कर
एकाग्रचित लक्ष्य, बड़ा साध कर
दृढ़ विश्वास कर्मठता के साथ
आगे बढ़ते रहें , दिन-रात
प्रभु वरद-हस्त शीश धरो
सदैव हमारी रक्षा करो
है, बस यही प्रार्थना
सफल हो ,जीवन-साधना
प्रार्थना
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