लोक कल्याणकारी राज्य
संविधान में भारत को एक “लोक-कल्याणकारी राज्य” बनाने की व्यवस्था दी गई है। भारतीय जनमानस में, सदियों से व्याप्त “राम-राज्य” की परिकल्पना लोक कल्याणकारी राज्य का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
समस्त भारत में विभिन्न ऐतिहासिक साक्ष्य एवं तथ्य उपलब्ध हैं, जो यह स्पष्ट करते हैं कि, जिन राजा और राजवंशों ने , अपने शासनकाल में लोक कल्याण को प्रमुखता दी है, सामान्यतया उनकी प्रजा ने, उन राजा और राजवंशों का नाम, इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखकर अमर कर दिया है।
गुप्त साम्राज्य, चोल साम्राज्य, विक्रमादित्य आदि का शासन-प्रशासन लोक कल्याण की इसी “ऐतिहासिक परंपरा” की पुष्टि करता है।
लगभग 1000 वर्षो की गुलामी और आक्रांताओं द्वारा भारतीय संस्कृति के साक्ष्यों और ग्रंथों को नष्ट करने के प्रयासों के कारण तथा पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव के कारण, हम अपनी गौरवशाली विरासत के प्रति उदासीन हो गए हैं। गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल कर, हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि, हमारी ही ऐतिहासिक परंपराओं को पुष्ट करते हुए, हमारे “संविधान” में भविष्य के लिए भी “लोक-कल्याणकारी राज्य” की संकल्पना को स्थापित किया गया है।
वंदे मातरम!!
विधु गर्ग
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