जगदंबा – सर्वरूपा
तुम्ही सृष्टि, तुम ही प्रकृति
तुम्ही नभ हो ,तुम ही धरती
तुम्ही रजनी और सुनहरी प्राची
तुम्ही कलरव ,तुम ही हो कली
तुम ही हो भाव , तुम ही भक्ति
वात्सल्यमयी मैया आदिशक्ति
हम हैं मूढ़ , अबोध-अज्ञानी
करते मात्र नमामि-नमामि
नवदुर्गा जगदंबा जग-जननी
ममतामई आंचल की छांव धरणी
शिशु सम हम, नन्हे से तुमरे
कृपा करो, क्षमा करो ,अवगुण हमरे
तुमरी छत्रछाया में हम, बढ़ते रहे देवी मैया
सुशोभित उत्साहित हम, नित्य गुणगान करें देवी मैया
जय जय जय , मातु भवानी सर्वरूपा
नमामि नमामि , कुलदेवी स्वरूपा नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
विधु गर्ग
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