राष्ट्र सेविका समिति

राष्ट्र सेविका समिति

जिस भू-भाग पर, हम पले बढ़े
उत्कृष्ट विरासत पर, भविष्य सजे
ये “राष्ट्र” भाव अडिग रहे

घर-संसार, संस्कार-विस्तार
कर्म-गंगा सी, अविरल धार
समर्पणाग्नि में, कुंदन सी “सेविका” तपे

एकजुट, लक्षित, संगठित हो
निराश्रित, शोषित, उपेक्षित को
सक्षम, सशक्त, “समिति” निरंतर करे ।।

विधु गर्ग