मन

मन

रे मन
तू ही तो है
शक्तिपुंज
प्रसन्नता का
दृढ़ स्तंभ
नव ऊर्जा का
केंद्र बिंदु
बुद्धिमता का
तीक्ष्ण चक्षु
सामर्थ्य शाली
गौरवशाली
पल प्रतिपल निखर
नित नए लक्ष्य धर स्वास्थ्य-समृद्धि के रच शिखर
उत्साह-उल्लास हो प्रखर
भाव-भक्ति संग हो मुखर ।।