कविता
ना तो शब्दों की
भूल-भुलैया
ना ही विचारों की ता-ता थैया
व्यक्त करती यह तो
विनीत, संयमित
अंतर्मन की पुकार
समाज का चीत्कार
शोषित का हाहाकार
और
सहेजती,संजोती
वेदों का तत्वज्ञान
देवों का स्तुति गान
बाल्मीकि का राम-राज
व्यास का भारत-भाव
गीता का सार
जीवन श्रंगार
विधु गर्ग
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