कविता

quill pen

कविता

अनगिनत भावों की
सूक्ष्म अभिव्यक्ति
शब्द लावण्य से
गहराती रसानुभूति
कभी अंतर्व्यथा में
मिल जाती
कभी अंतर्शक्ति
जागृत करती
कभी सहज
अति सहज हो जाती
कभी गर्भ सी
गूढ़ बनी रहती
दृष्टिगत व्यवस्था का
आईना दिखलाती
मन उद्वेलित कर
जोश भर डालती
कुसुम,विहग, नीर
संग प्रकृति
नव-आशा, नवभ्योदय
सृष्टि रचती
निराकार, साकार करती शब्द-शक्ति जताती
कविता।।

विधु गर्ग