Hindi

हिन्दी

हिमालय सी, संस्कृत से निकसी
भरी-पूरी, हिंदी सुरसरि
गंगा-यमुना, कृष्णा-कावेरी बन
लोक-भाव, नवांकुर लिए संग
एक होती, एक करती
मन-मोहती, रचती-बसती
जन-सागर विस्तार में
धन लिए हाट-बाजार में
किंतु फिर भी
है प्रतीक्षारत अभी भी
स्व-सम्मान को
राष्ट्र-अभिमान को
गुलामी-मुक्त मानसिकता को
वैश्विक धरातल को।

विधु गर्ग