धर्म-संस्थापनार्थ

धर्म-संस्थापनार्थ

संस्कार सी द्रौपदी पर
दांव लग रहा
युधिष्ठिर सा हिंदू
धर्म-संकट में मौन रहा
भीम सा लहू
क्रोध में उबल रहा
अर्जुन सा योद्घा
भाईचारे में उलझ रहा
नकुल-सहदेव सा अनुकरणी
निर्देशों की बाट जोह रहा
दुर्योधन-दुशासन सा दुष्ट
निर्लज्ज अट्टहास कर रहा
टुकड़ों-टुकड़ों में कुरुक्षेत्र
यत्र-तत्र सज रहा
भ्रम के चक्रव्यूह में
अभिमन्यु सा “जन” उलझ रहा
सुदर्शन चक्र धारी हे श्री कृष्ण
कलियुग में धर्म-सारथी बन
सत्य-असत्य अनावृत करो
धर्म-निष्ठ, एक-निष्ठ शक्ति जागृत करो

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवतिभारत

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मनं सृजाम्यहम्

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ।।

विधु गर्ग